प्रेमचन्द का मूल नाम नवाब राय था। नवाब राय की प्रथम कहानी 'इश्के दुनिया
व हुब्बे वतन' शीर्षक से अप्रैल, 1908 में 'जमाना' में प्रकाशित हुई।
नवाब राय का प्रथम कहानी संग्रह 'सोजेवतन' सन् 1908 में जमाना प्रेस, कानपुर से प्रकाशित हुआ।
'सोजेवतन' में पाँच कहानी संकलित हैं जो निम्न है-
(1) इश्के दुनिया व हुब्बे वतन (सांसरिक प्रेम और देश प्रेम)
(2) दुनिया का सबसे अनमोल रतन (3) यह मेरा वतन है, (4) शेख मखमूर
(5) सिल-ए-मातम (शोक का पुरस्कार)।
'सोजे वतन' के प्रकाशन के बाद ब्रिटिश सरकार ने नवाब राय पर 'सिडीशन' (Sedition)
का आरोप लगाकर उनके सारे संग्रह को जब्त कर लिया। 'सोजे वतन' उर्दू कहानियों का संग्रह है।
प्रेमचन्द नाम से उनकी पहली कहानी 'बड़े घर की बेटी' दिसम्बर, 1910 में जमाना में
प्रकाशित हुई थी।
प्रेमचन्द की प्रथम कहानी 'सौत' (हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि में) सन् 1915 में
'सरस्वती में प्रकाशित हुई।
कुछ आलोचक प्रेमचन्द के 'पंचपरमेश्वर' (1916) को इनकी प्रथम कहानी मानते हैं तथा
अन्तिम 'कफ़न' को।
प्रेमचन्द के प्रमुख कहानी-संग्रह निम्नलिखित हैं-
सप्त सरोज (1917)
नवनिधि (1917)
प्रेम पूर्णिमा (1918)
प्रेम पच्चीसी (1923)
प्रेम प्रसून (1924)
प्रेम द्वादशी (1926)
प्रेम प्रतिमा (1926)
प्रेम प्रतिज्ञा (1929)
प्रेम चतुर्थी (1929)
प्रेम कुंज (1930)
सप्त सुमन (1930)
कफ़न (1936)
प्रेमचन्द ने लगभग 300 कहानियां लिखी हैं जो अब 'मानसरोवर' शीर्षक से आठ
भागों में प्रकाशित है।
प्रेमचन्द ने लिखा है, 'सबसे उत्तम कहानी वह होती है, जिसका आधार किसी
मनोवैज्ञानिक सत्य पर होता है।
प्रेमचन्द को 'कहानी सम्राट' कहा जाता है।
प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानियाँ कालक्रमानुसार निम्न हैं-
(1) नमक का दरोगा (1913)
(13) अलग्योझा (1929)
(2) सज्जनता का दण्ड (1916)
(14) पूस की रात (1930)
(3) ईश्वरीय न्याय (1917)
(15) समर यात्रा (1930)
(4) दुर्गा का मन्दिर (1917)
(16) पत्नी से पति (1930)
(5) बूढी काकी (1920)
(17) सद्गति (1930)
(6) शान्ति (1921)
(18) दो बैलों की कथा (1931)
(7) सवा सेर गेहूँ (1924)
(19) होली का उपहार (1931)
(8) शतरंज के खिलाड़ी (1924)
(20) ठाकुर का कुआँ (1932)
(9) मुक्तिमार्ग (1924)
(21) ईदगाह (1933)
(10) मुक्तिधन (1924)
(22) नशा (1934)
(11) सौभाग्य के कोड़े (1924)
(23) बड़े भाई साहब (1934)
(12) दो सखियाँ (1928)
(24) कफ़न (1936)
चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने तीन कहानियाँ लिखी हैं। डॉ० गोपाल राय ने इनका कालक्रम
निम्न बताया हैं-
सुखमय जीवन
1911
भारत मित्र
बुद्ध का काँटा
1914
उसने कहा था
1915
सरस्वती
'उसने कहा था' प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखी गई प्रेम-संवेदना की कहानी है।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'उसने कहा था' कहानी की प्रशंसा करते हुए लिखा है,
''घटना इसकी ऐसी है जैसे बराबर हुआ करती है, पर उसमें से भीतर से प्रेम का
एक स्वर्गीय स्वरूप झाँक रहा है- केवल झाँक रहा है, पर उसमें से भीतर से प्रेम
का एक स्वर्गीय स्वरूप झाँक रहा है- केवल झाँक रहा है निर्लज्जता के साथ
पुकार या कराह नहीं रहा है। कहानी भर में कहीं प्रेम की निर्लज्जता, प्रगल्भता,
वेदना की वीभत्स विवृत्ति नहीं है। सुरुचि के सुकुमार से सुकुमार स्वरूप पर
कहीं आघात नहीं पहुँचता। इसकी घटनाएँ ही बोल रही हैं, पात्रों के बोलने की अपेक्षा नहीं।''
'उसने कहा था' फ्लैश बैक (पूर्वदीप्ति) पद्धति पर लिखी हिन्दी की प्रथम कहानी है।
जयशंकर प्रसाद की प्रथम कहानी सन् 1911 ई. में 'ग्राम' शीर्षक से 'इन्दु पत्रिका
में प्रकाशित हुई।
जयशंकर प्रसाद के कहानी-संग्रह और चर्चित कहानियाँ निम्न हैं- कहानी संग्रह- छाया (1912), प्रतिध्वनि (1926), आकाशदीप (1928), आँधी
(1931), इंद्रजाल (1936)।
चर्चित कहानियाँ- (1) पत्थर की पुकार, (2) उस पार का योगी, (3) चंदा,
(4) देवदासी, (5) ममता, (6) खण्डहर की लिपि, (7) घीसू, (8) चूड़ीवाली,
(9) विसाती, (10) सालवती, (11) मधुआ, (12) नूरी, (13) पुरस्कार,
(14) गुण्डा, (15) छोटा जादूगर।
'छाया' प्रसाद की प्रथम कहानी-संग्रह होने के साथ ही हिन्दी का भी प्रथम कहानी-संग्रह है।
जयशंकर प्रसाद की अन्तिम कहानी 'सालवती' को माना जाता है।
वृन्दावन लाल वर्मा के प्रमुख कहानी-संग्रह निम्न है-
(1) शरणागत (1950), (2) कलाकार का दण्ड (1950)।
वृन्दावनलाल वर्मा को ऐतिहासिक कहानियों की परम्परा का जनक माना जाता है।
राधिका रमण प्रसाद की प्रथम कहानी 'कानों में कंगना' (1913) 'इन्दु' में प्रकाशित हुई थी।
इनके प्रमुख कहानी संग्रह हैं-
(1) कुसुमांजलि, (2) गाँधी टोपी (1938), (3) सावनी समाँ (1938)।
राधिकारमण प्रसाद सिंह की एक अन्य महत्वपूर्ण कहानी 'बिजली' हैं।
आचार्य शुक्ल के अनुसार चतुरसेन शास्त्री 1914 से ही कहानी लिखना आरम्भ कर दिये थे।
इनके प्रमुख कहानी-संग्रह निम्न हैं-
(1) रजकण, (2) अक्षत, (3) बाहर भीतर, (4) दुखवा मैं कासों कहूँ मोर सजनी,
(5) सोया हुआ शहर, (6) धरती और आसमान, (7) कहानी खत्म हो गई,
(8) स्त्रियों का ओज, (9) सिंहगढ़ विजय।
चतुरसेन शास्त्री की चर्चित कहानियाँ निम्न है-
(1) अंबपालिक (2) प्रबुद्ध (3) भिक्षुराज (4) बावर्चिन (5) हल्दीघाटी में (6) बाणवधू।
चतुरसेन शास्त्री कृत 'दुखवा मैं कासों कहूँ मोर सजनी' कहानी बंगला कथाकार
हरिसाधन मुखोपाध्याय की बांग्ला कहानी 'सेलिसमा बेगम' का रूपान्तर माना जाता है।
प्रेमचन्द युग के अन्य महत्वपूर्ण कहानीकार एवं कहानियाँ निम्न हैं-